सामाजिक एकजुटता ही सशक्त आदिवासी समाज का आधार: विधायक भूषण बाड़ाअल्बर्ट एक्का मैदान में धूमधाम से मना विश्व आदिवासी दिवस, पारंपरिक वेशभूषा में शामिल हुए थे लोग

सिमडेगा:-विश्व आदिवासी दिवस मंगलवार को अल्बर्ट एक्का मैदान में धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यकम में सिमडेगा विधायक भूषण बाड़ा की विशेष उपस्थिति रही। कार्यक्रम में जिले में निवास करने वाले विभिन्न आदिवासी समाज द्वारा आदिवासी संस्कृति की झलक नृत्य के माध्यम से देखने को मिली। लोगों पारंपरिक वेशभूषा में ढोल नगाड़े की थाप पर झूमते हुए नजर आए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विधायक भूषण बाड़ा ने कहा कि आज विकास के इस दौर में भी आदिवासी समुदाय को जितनी ऊंचाइयों तक पहुंचना चाहिए था, वहां तक नहीं पहुंच पाया है। सामाजिक एकजुटता ही सशक्त समाज का आधार है। हमें सदैव अपने संस्कृति और सामाजिक संस्कारों से जुड़ कर रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि 21 वीं सदी का दौर है, हर ओर विकास की बात की जा रही है। मानव सभ्यताओं को जीवित रखने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। ऐसे में सभ्यता और संस्कृति के संरक्षण की सूई हमारे आदिवासी समाज की ओर घूम ही जाती है। उसकी वजह भी है क्योंकि हर आदि परंपराओं का सृजन और उस संस्कृति को जीवित रखने में हमारा समुदाय का संपूर्ण विश्व सदैव ऋणी रहेगा। कई सदियों तक बुनियादी सुविधाओं के घोर अभाव के बावजूद प्रकृति की इबादत करना और उसके संरक्षण के विभिन्न आयामों को गढ़ने में हमारी आदिवासी समुदाय की भूमिका विश्व में अनुकरणीय रही है। विधायक श्री बाड़ा ने कहा कि भौतिकतावादी युग में संस्कृति और अनूठी परंपराओं के साथ सामंजस्य बैठा पाना आज भी एक चुनौती है। जल, जंगल, जमीन को बचाने पर जोरविधायक ने कहा कि हमारे आदिवासी समाज की कृतियां और गाथाएं विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर बतायी जानेवाली सुक्तियां नहीं हैं, बल्कि पूरे विश्व समुदाय के लिए ऐसी प्रेरक घोषणाएं हैं। हमारा आदिवासी समुदाय एक ऐसा समूह है, जो अपनी परंपरा-संस्कृति को अपने सीने से लगा कर सदैव चलता रहा है। उन्होंने कहा कि जल, जंगल, जमीन हमारी धरोहर है

। इसके समाप्त होने पर हम आदिवासी भी समाप्त हो जाएंगे। राज्य को बचाने के लिए यहां के आदिवासी, मूलवासियों को पूंजीपतियों की पार्टी को रोकना होगा। पूंजीपतियों ने हम आदिवासियों का हमेशा शोषण किया है। हमारे पूर्वजों ने हमें अपनी सामाजिक तथा सांस्कृतिक धरोहरों के साथ यहां तक पहुंचाया है। अब हमारी जिम्मेदारी है कि आने वाली पीढ़ी को हम सांस्कृतिक तथा सामाजिक संस्कारों के साथ आगे की राह ले चलें। प्राकृतिक संतुलन बनाये रखने में आदिवासी समाज की भूमिका महत्वपूर्णविधायक ने कहा कि प्राकृतिक संतुलन को बनाये रखने में आदिवासी समुदाय की भूमिका सबसे अहम रही है और आगे भी रहेगी। ग्लोबल वार्मिंग जैसी चीजों से बचाव आदिवासी समाज से बेहतर और कोई नहीं कर सकता है। झारखंड की धरती 32 जनजातियों से रची बसी है। सभी आदिवासी समाज की सभ्यता, संस्कृति को समृद्ध बनाने के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उनकी दशा और अवस्था सुधारने के लिए कई कदम उठाये गये हैं। विस्तृत योजना बन रही है ताकि अपनी संस्कृति को अक्षुण्ण रखते हुए आदिवासी आधुनिक दुनिया से भी तालमेल बिठाये रखे। वर्तमान सरकार जन आकांक्षाओं पर आधारित विकास के लिए प्रतिबद्ध है। आने वाले दिनों में आदिवासियों का विकास उनकी जरूरतों और उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप होगा।कार्यक्रम को डीडीसी अरुण वाल्टर सांगा एवं एसपी सौरभ कुमार ने भी सम्बोधित किया। साथ ही उन्होंने लोगों को एकजुट रहने पर जोर दिया। कार्यक्रम में पूर्व विधायक बिमला प्रधान, सीओ प्रताप मिंज, फुलसुन्दरी देवी, अगुस्टीना सोरेंग, सोहन बड़ाईक, साधु मलुआ सहित अन्य उपस्थित थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में समिति के सभी सदस्यों का अहम योगदान रहा। मंच संचालन अनुपमा कीड़ो ने किया।

Related posts

Leave a Comment